गौविज्ञान की उत्तम खोज ”
श्री यदुनंदन गौ उत्पादन केंद्र द्वारा निर्मित
पंचगव्य नस्य
” पंचगव्य नस्य ” कफ के हर रोग तथा , आंख , कान , मस्तिष्क के हर एक रोग पर उत्तम परिणाम मील रहे है .
एक बार आजमाये .
यह घृत देशी नस्ल की उत्तम कांकरेज गाय के पंचगव्य ओर ब्राह्मी से बनाया गया है .
तो प्रयोग करे एवं जाने यह घृत कीतना उपयोगी एवं प्रभावी है
पंचगव्यघृत से नश्य प्रयोगः
पंचगव्य घृत की बोतल को एक गर्मपानी के पात्र मे गरदन तक डुबाकर कुछ मीनीट रखे तो घृत गुनगुना हो जायेगा .
👉 याद रखिए
( यह घृतको सीधे अग्नी पर कभी गरम ना करे ) अब गुनगुने घृतको बीना तकीया सो कर दोनो नासीकामे दो दो बूंद डालकर २०-२४ मीनीट तक शर उंचा रखके लेटे रहे गहरी सांस ना खीचे उसको धीरे धीरे नासीकामे उतरने दो . ( यह घृत जब प्रयोग करे गुनगुना करके ही प्रयोग करे
पंचगव्यघृत प्रयोग से होनेवाले फायदे :
( १ ) पागलपन मे धीरे धीरे फायदा होता हे .
( २ ) अलर्जी खत्म होती है . ( ३ ) लकवा ( पक्षघात ) मे राहत होती है .
( ४ ) कान दर्दमे राहत होती है और कानके फटे परदेभी ठीक होनेमे मददरूप होता है .
( ५ ) दीमाग तरोताजा रहता है . ( ६ ) कोमा के दर्दी पर यह प्रयोग करने से दर्दी कोमासे जल्द बहार आता है .
( ७ ) यादशकित बढ़ती है
( ८ ) अनीन्द्रासे मुकित मीलती हे और नींद अच्छी आती है .
( ९ ) बाल झडना कम होता है . और लम्बे प्रयोगसे नये बालभी उगने लगते है .
( १० )शरदर्द मीटता है , माइग्रेन ( अर्धशीर वेदना ) पूर्ण रूप से मीटाता है . हमेश रहती शरदी दूर होती है . सर्व प्रकारके कफ मीटाता है .
( १२ ) सुखी खांसी और कफजन्य खांसी मीटाने में मददरूप होता है .
( १३ ) मीर्गी के रोगी के लीये अत्यंत लाभप्रद होता है .
( १४ ) खरराटें बंध होते है . ( १५ ) चीडचीडापन दुर है . ( १६ ) फेफडे साफ करता है इसलीये अस्थमाके दर्दीकोभी अत्यंत लाभप्रद है .
( १७ ) लकवा पक्षघात के दर्दी इसका लम्बा प्रयोग करे तो धीके धीके लकवाभी ठीक होता है . ( १८ ) आंखोकी रोशनी बढाती है चश्मे के नंबरभी धीरे धीरे कम होते है .
( १ ९ ) नासीकामे होता सुखापन दुर होता है .
(२०)पढाई करने वाले छात्रों व मानसिक श्रम करने वालो के लिए अति उपयोगी।
इससे भी अधीक फायदे है पंचगव्यघृत के और भी कइ रोग है जीस पर पंचगव्य से उत्तम परीणाम मील शकते है .
नोट:- वैद्यजनों,चिकित्सकों व स्वदेशी केंद्र संचालक मित्रों को विशेष छूट
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